एक दिन भगवान बुद्ध अकेले ही भ्रमण कर रहे थे एक व्यक्ति को बहुत ही दीन और हैरान देखकर उन्होंने पूछा क्यों भाई क्या बात है :-
वह बोला मैं बहुत ही गरीब हूं और मेरे पास कुछ भी नहीं है |
बुद्ध ने हैरानी से पूछा :-
कुछ भी नहीं है..!!
तुम सच नहीं बोल रहे हो…!!
मैं आपसे ठीक कहता हूं |
बुद्ध ने कहा अच्छा तो तुम एक काम करो | तुम्हारे पास दो कान हैं एक कान काट कर तुम मुझे दे दो इसके बदले में मैं तुम्हें एक हजार सोने के सिक्के दूंगा |
नहीं मैं अपना कान नहीं दे सकता |
तो अपनी दो आंखों में से एक आंख दे दो इसके मैं तुम्हें 5000 सिक्के दे सकता हूं |
नहीं मैं ऐसा नहीं कर सकता |
अच्छा तो एक हाथ ही दे दो इसके मैं तुम्हें 10000 सिक्के दे दूंगा |
जी नहीं यह नहीं हो सकता |
तब बुद्ध ने कहा फिर तुम कैसे कहते हो कि तुम्हारे पास कुछ भी नहीं है | तुम्हारे पास एक दूनी दो, यानी दो हजार से ज्यादा के कान हैं, पाँच दूने दस, यानि 10000 से ज्यादा की आंखें हैं, और 10 दूने 20, यानी 20000 से ज्यादा के हाथ हैं |
जब कान, आंख और हाथ का इतना मूल्य है तो पूरे शरीर का कितना होगा |
व्यक्ति चुप हो गया |
इस पर बुद्ध ने कहा :-
देखो तुम्हारे पास कितनी बड़ी दौलत है | जिसके पास अच्छी-अच्छी बातें सुनने के लिए कान हों, अच्छी-अच्छी चीजें देखने के लिए आंख हों और अच्छे अच्छे काम करने के लिए हाथ हों | भला उससे बढ़कर धनी कौन हो सकता है |
दोस्तों अब मैं आपसे पूछता हूं क्या आपको लगता है कि आप अभी तक अमीर नहीं हुए हैं तो इस कहानी को दोबारा सुनिए अगर अमीर हो गए हैं तो कमेंट करके जरूर बताइए |